Thursday, June 16, 2011

बाबाओं की पत्रकारिता छोडकर, मीडिया संस्थानों और बाबाओं को गोद लेना चाहिए : एक गांव

शुरू-शुरू में देखा गया कि कुछ चैनल सुबह-सुबह किसी-न-किसी बाबा को उपदेश देते दिखाते थें. अब सभी समाचार चैनलों पर दिखाये जाने लगे हैं. इन बाबाओं द्वारा  चैनलों पर जाति, धर्म, हिंसा-अहिंसा,पाप-पुण्या आदि का ज्ञान बांटते दिखाया जाता है.जिसके पीछे इन बाबाओं की चाल काम करती है. एक तो समाज में बाबा अपनी प्रसिद्धि बढाते हैं दूसरी इनके द्वारा किए जाने वाले कुकर्मों को छिपाने में भी मदद मिलती है.इन कुकर्मों को छिपाने में समाचार चैनल भी सहयोग करते हैं. क्योंकि अपना प्रचार-प्रसार करवाने के एवज में बाबा स्वयं बहुत-सा धन इन चैनलों को प्रदान करते हैं.इस कारण से समाचार चैनल इनके द्वारा फैलाए जाने वाले पाखंडों को दिखाने के वजह,इनके योग को दिखाते है, भगवान में आस्था को दिखाते हैं, ज्ञान, बुद्धि और चमत्कार को भी दिखाते रहते हैं.चैनलों के द्वारा बाबाओं का गुणगान गाने से जनता,इनको ही भगवान मानने लगती है,इन बाबाओं में आस्था रखने लगती है.परन्तु ये जनता नहीं जानती कि बाबाओं के भेष में बहुत-से बाबा क्या-क्या कुकर्म करते रहते हैं.ऐसे बहुत-से नाम‍चीन बाबा है जिनके द्वारा महिलाओं के साथ बलात्कार, नरवलि, आस्था  के नाम पर लूटना आदि मामले भी प्रकाश में आए हैं, जिनको समाचार चैनलों ने ही उजागर किया है.
पिछले दो सप्ताह से देखता आ रहा हॅू कि सभी चैनलों पर बाबाओं का जमावडा दिखाया जा रहा है, इन बाबाओं द्वारा भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए अनशन,सत्याग्रह भी किया गया.जिसको सभी चैनल ने प्रकाशित किया. ये बाबा मीडिया की सुर्खियों में बने रहे. आज एक चैनल ने एक और बाबा को प्रकट किया. इन बाबा का नाम है अर्थी बाबा. ये भी कालेधन तथा भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए शामशान घाट पर सत्याग्रह कर रहें हैं. अब तक ये बाबा 50 अर्थियों के सामने हवन कर चुके है और 58 अभी बाकी हैं. यानि कुल मिलाकर 108 अर्थियों के सामने सत्याग्रह. जिसको मीडिया ने अपनी स्टोरी बनाकर जनता के सामने पेश किया.अब तो एक बात समझ में आ चुकी है कि भारत अंधविश्वासों का देश है, सभ्यताओं के नष्‍ट और सत्ता् परिवर्तन के बाद भी चमत्कार को नमस्कार करने की प्रथा बदस्तू्र जारी है. भारत की जनता इतनी भोली है या बनने का नाटक करती है. तभी तो कोई भी उसे उल्लू बनाकर चला जाता है चाहे सरकार हो, बाबा हो, या मीडिया.
तकनीकि के युग देश जहां प्रगति के मार्ग पर अग्रसरित होने की कोशिश कर रहा है.वहीं बाबाओं की जमात दिन-प्रति-दिन बढती जा रही है. और जनता भी आंख मूंद कर इन पर विश्वास कर रही है.बचपन में बताया गया था कि ये बाबा बहुत ही ज्ञानी होते हैं, तपस्या करते हैं, अपने ज्ञान के पुंज को बढाते हैं और इनको इस माया नगरी,धन-संपदा से कोई मोह नहीं होता.परन्तु वो सब बातें गलत साबित हुई, कि इन बाबाओं को किसी-न-किसी का मोह होता है, जरूर होता है. आज जितने भी बाबाओं को देखों सभी के पास किसी- न- किसी नाम से करोडों रूपये की संपत्ति है. कहां से आती है करोडों रूपये की संपत्ति. इस पर बात नहीं करना चाहता. यदि ये बाबा वास्‍तव में गरीब जनता के लिए कुछ करना चाहते है तो अपने करोडों रूपये में से कुछ करोड रूपये इन गरीब जनता के विकास में खर्च करें.इसके साथ-साथ बाबाओं के साथ मिलकर मीडिया एक-एक गांव को गोद ले. ताकि गांव-गांव से मिलकर देश का विकास हो सकें.

1 comment:

sarita said...

kis media ki bat kar rahe ho,jo chijo ko uchalna to janti hai, par usko ya in jaise babao ko karna kuch bhi nahi hota.jis din inlogo ne thora bhi un gaow ki tarf dhyan dena shuru kiya to shayad is samaj ya yun kahe is desh ka rup hi kuch aur hoga.......